High Court: महिला को आपत्तिजनक मैसेज भेजना अश्लीलता के समान, महाराष्ट्र कोर्ट का फैसला

High Court: महाराष्ट्र के दिंडोशी की एक सत्र अदालत ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी अनजान महिला को “आप पतली हैं,” “आप बहुत स्मार्ट दिखती हैं,” “आप गोरी हैं,” और “मैं आपको पसंद करता हूं” जैसे संदेश भेजना अश्लीलता के समान है और यह महिला की गरिमा का अपमान करने जैसा है।

High Court: मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला एक पूर्व पार्षद महिला से जुड़ा हुआ है, जिसे एक अनजान व्यक्ति ने व्हाट्सएप पर देर रात आपत्तिजनक संदेश और तस्वीरें भेजी थीं। शिकायत के अनुसार, आरोपी ने रात 11 बजे से 12:30 बजे के बीच महिला को व्हाट्सएप संदेश भेजे, जिसमें उसने महिला की शारीरिक बनावट पर टिप्पणी करते हुए उसकी सुंदरता की प्रशंसा की और पूछा कि क्या वह शादीशुदा है। इसके अलावा, आरोपी ने अपनी उम्र 40 साल बताते हुए कहा कि वह महिला को पसंद करता है।

शिकायतकर्ता ने इसे अपनी गरिमा के खिलाफ बताया और आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की।

High Court: निचली अदालत का फैसला

इस मामले में 2022 में मजिस्ट्रेट अदालत ने आरोपी को दोषी ठहराया और उसे तीन महीने जेल की सजा सुनाई थी। आरोपी ने इस फैसले को चुनौती देते हुए सत्र न्यायालय में अपील दायर की, जहां अदालत ने उसके तर्कों को खारिज कर दिया।

High Court: अदालत की टिप्पणियां

अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि कोई भी विवाहित महिला या उसका पति इस तरह के व्हाट्सएप संदेशों और अश्लील तस्वीरों को बर्दाश्त नहीं करेगा, खासकर तब जब आरोपी और शिकायतकर्ता एक-दूसरे को जानते भी न हों। यह आचरण न केवल महिला की गरिमा का अपमान करता है, बल्कि यह साइबर अपराध की श्रेणी में भी आता है।

सत्र न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि ऐसे संदेशों को महज तारीफ नहीं माना जा सकता, बल्कि यह महिला की मर्यादा और सम्मान को ठेस पहुंचाने का प्रयास है। यह संदेश एक तरह से मानसिक उत्पीड़न के समान हैं, जिससे महिला असहज महसूस कर सकती है।

High Court: राजनीतिक साजिश का दावा खारिज

अदालत में आरोपी ने अपने बचाव में कहा कि उसे राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते झूठे मामले में फंसाया गया है। हालांकि, अदालत ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि कोई भी महिला अपनी गरिमा को दांव पर लगाकर किसी व्यक्ति पर झूठा आरोप नहीं लगाएगी।

High Court: अभियोजन पक्ष की दलील

अभियोजन पक्ष ने अदालत में यह साबित किया कि आरोपी ने व्हाट्सएप पर न केवल आपत्तिजनक संदेश भेजे, बल्कि कुछ अश्लील तस्वीरें भी साझा की थीं। अभियोजन पक्ष ने यह भी बताया कि आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उसने महिला को मानसिक रूप से परेशान करने का प्रयास किया।

High Court: महिलाओं की गरिमा की सुरक्षा पर जोर

यह मामला महिलाओं की गरिमा और उनके डिजिटल अधिकारों की सुरक्षा को लेकर एक अहम संदेश देता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि महिलाओं को साइबर स्पेस में किसी भी तरह की आपत्तिजनक टिप्पणियों और अश्लील संदेशों से बचाने के लिए कानून को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।

इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि किसी अनजान महिला को इस तरह के मैसेज भेजना न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि यह कानूनी रूप से भी दंडनीय अपराध है। यह निर्णय महिलाओं की गरिमा की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और यह साइबर अपराध के मामलों में कड़ा संदेश देने का काम करेगा।

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