Bihar Assembly Election 2025: जेडीयू का “राष्ट्रीय स्वाभिमान दिवस” और क्या है जातीय समीकरणों का खेल ?

Bihar Assembly Election 2025

Bihar Assembly Election 2025:  बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 के नज़दीक आते ही जातीय समीकरणों की राजनीति ने जोर पकड़ लिया है। इस बार जेडीयू ने राजपूत समुदाय को साधने के लिए महाराणा प्रताप पुण्यतिथि को “राष्ट्रीय स्वाभिमान दिवस” के रूप में मनाने की नई रणनीति अपनाई है। इस कार्यक्रम ने जेडीयू की चुनावी रणनीति और राजपूत समुदाय के प्रति उनकी प्राथमिकता को उजागर किया है।

Bihar Assembly Election 2025: गौरवशाली इतिहास और राजनीतिक प्रतीक

महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास के उन महान योद्धाओं में से एक हैं, जिनकी वीरता और स्वाभिमान का प्रतीक हर भारतीय के दिल में बसा है। जेडीयू द्वारा उनकी पुण्यतिथि को “राष्ट्रीय स्वाभिमान दिवस” के रूप में मनाना, एक सामाजिक और राजनीतिक संदेश देने की कोशिश है। यह आयोजन राजपूत समुदाय से भावनात्मक जुड़ाव और उनके समर्थन को हासिल करने का माध्यम बन गया है।

Bihar Assembly Election 2025:  जेडीयू की रणनीति और संजय सिंह की भूमिका

इस कार्यक्रम का आयोजन जेडीयू एमएलसी संजय सिंह के सरकारी आवास पर किया गया। संजय सिंह, जो बाढ़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं, ने इस आयोजन को अपने राजनीतिक भविष्य के लिए एक मंच के रूप में इस्तेमाल किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी ने इस कार्यक्रम को और भी महत्वपूर्ण बना दिया। जेडीयू की यह पहल दिखाती है कि पार्टी राजपूत समुदाय को अपने पक्ष में लाने के लिए गंभीर है।

Bihar Assembly Election 2025:  आरजेडी के भीतर उथल-पुथल

राज्य में हाल ही में जातीय जनगणना के आंकड़ों ने राजपूतों की आबादी को लगभग 3.5% दर्शाया है। आरजेडी के भीतर जारी उथल-पुथल, खासकर वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने के बाद, जेडीयू के लिए यह एक सुनहरा मौका बन गया है। आरजेडी की इस स्थिति का लाभ उठाने के लिए जेडीयू ने महाराणा प्रताप जैसे गौरवशाली प्रतीक को चुना है।

Bihar Assembly Election 2025: जातीय राजनीति का प्रभाव

बिहार की राजनीति हमेशा से जातीय समीकरणों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। यादव-मुस्लिम गठजोड़ और दलित-अति पिछड़े वर्गों के समर्थन से लेकर राजपूत समुदाय को साधने की जेडीयू की कोशिश, सभी दल अपनी रणनीति जातीय आधार पर बनाते हैं। महाराणा प्रताप जैसे ऐतिहासिक नायकों का जातीय समूह को एकजुट करने के लिए उपयोग करना इसी राजनीति का हिस्सा है।

Bihar Assembly Election 2025: “राष्ट्रीय स्वाभिमान दिवस” का संदेश

संजय सिंह ने बताया कि यह कार्यक्रम 2019 से आयोजित किया जा रहा है और इसका उद्देश्य महाराणा प्रताप के बलिदानों को सम्मान देना है। हालांकि, इसे केवल ऐतिहासिक नायक के प्रति सम्मान तक सीमित नहीं देखा जा सकता, बल्कि इसे चुनावी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

Bihar Assembly Election 2025: क्या जेडीयू की रणनीति सफल होगी?

जेडीयू की यह पहल फिलहाल मजबूत शुरुआत की तरह दिख रही है। आरजेडी के राजपूत नेताओं की नाराजगी और जातीय समीकरणों को भुनाने की कोशिश ने जेडीयू को इस समुदाय के करीब पहुंचने का मौका दिया है। हालांकि, इसका चुनावी परिणाम पर कितना प्रभाव पड़ेगा, यह आने वाले समय में ही स्पष्ट होगा।

“राष्ट्रीय स्वाभिमान दिवस” जैसे आयोजन दिखाते हैं कि जातीय समीकरण बिहार की राजनीति का अभिन्न हिस्सा बने रहेंगे। जेडीयू की यह रणनीति राजपूत समाज को साधने में कितनी सफल होगी, यह चुनावी परिणाम तय करेंगे। लेकिन यह स्पष्ट है कि बिहार की राजनीति में जातीय और सामाजिक समीकरणों का खेल लगातार जारी रहेगा।

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