Mahakumbh 2025: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रयागराज पहुंचकर महाकुंभ में स्नान किया और भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया। यह क्षण ऐतिहासिक था, क्योंकि इससे पहले भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भी महाकुंभ में स्नान किया था। राष्ट्रपति के साथ उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे।
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में राष्ट्रपति की मौजूदगी का विशेष महत्व
महाकुंभ महज एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक शक्ति का प्रदर्शन भी है। राष्ट्रपति मुर्मू का त्रिवेणी संगम में स्नान करना और पूजन करना यह दर्शाता है कि भारत के शीर्ष संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्ति भी आस्था और परंपराओं को कितना महत्व देते हैं।
हालांकि, इस आयोजन को लेकर प्रशासन की व्यवस्था पर भी सवाल उठते हैं। 44 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं, जिससे प्रयागराज की यातायात और लॉजिस्टिक्स व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। इसके बावजूद, सरकार की कोशिशें सराहनीय हैं कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
Mahakumbh 2025: राष्ट्रपति का दौरा
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का हेलिकॉप्टर सोमवार सुबह 9:30 बजे प्रयागराज के एयरपोर्ट पर लैंड हुआ, जहां उनका स्वागत सीएम योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने किया। इसके बाद वे अरैल पहुंचीं, जहां से बोट के जरिए संगम पहुंचकर स्नान किया और प्रवासी पक्षियों को दाना खिलाया।
राष्ट्रपति अक्षयवट और लेटे हनुमान मंदिर में भी दर्शन-पूजन करेंगी। इसके अलावा, वे डिजिटल महाकुंभ अनुभव केंद्र का अवलोकन करेंगी, जहां तकनीकी माध्यमों से महाकुंभ मेले की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है।
Mahakumbh 2025: देशभर से नेताओं का बढ़ता रुझान
राष्ट्रपति से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी महाकुंभ में स्नान कर चुके हैं। इसके अलावा, कई राज्यों की कैबिनेट भी संगम में आस्था की डुबकी लगा चुकी है। यह दिखाता है कि महाकुंभ अब सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिष्ठा से भी जुड़ चुका है।
राजनीतिक नेताओं की मौजूदगी से एक सवाल यह भी उठता है कि क्या यह सिर्फ चुनावी लाभ के लिए किया जा रहा है, या वास्तव में श्रद्धा और संस्कृति के प्रति एक सच्ची निष्ठा है? ऐसे आयोजनों में भीड़ को नियंत्रित करने और सुविधाओं को बेहतर बनाने की जिम्मेदारी सरकार की होती है, और अभी के हालात देखते हुए यह कहा जा सकता है कि प्रशासन पूरी तरह तैयार नहीं था।
Mahakumbh 2025: 44 करोड़ लोगों ने किया स्नान
मौनी अमावस्या के बाद प्रयागराज में श्रद्धालुओं की भीड़ में जबरदस्त इजाफा हुआ है। सड़कों और रेलवे स्टेशनों पर अफरातफरी का माहौल है। कई किलोमीटर लंबा जाम लगा हुआ है और पुलिस-प्रशासन लोगों से अपील कर रहा है कि वे कुंभ में आने से बचें।
हालांकि, यह सवाल भी उठता है कि यदि प्रशासन पहले से ही 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं की संभावना से अवगत था, तो भीड़ नियंत्रण के लिए पहले से ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए? यह आयोजन भारत की संस्कृति और आस्था का प्रतीक है, लेकिन बिना सही योजना के यह अव्यवस्था और असुविधा का कारण भी बन सकता है।
Leave a Reply