Veer Bal Diwas 2024: वीर बाल दिवस 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शामिल होना एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है, क्योंकि यह दिन विशेष रूप से सिख समुदाय के लिए अत्यधिक महत्व रखता है। इस दिन का संबंध सिखों के पांचवे गुरु, गुरु गोबिंद सिंह के छोटे पुत्रों, साहिबजादे फतेह सिंह और जीवित सिंह से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने मुगलों के खिलाफ संघर्ष किया और अपनी जान की कुर्बानी दी। आइए जानें इस दिन को क्यों मनाया जाता है और इसके सिख समुदाय और मुगलों से क्या कनेक्शन है।
Veer Bal Diwas 2024: वीर बाल दिवस का महत्व
वीर बाल दिवस हर साल 26 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन उन साहिबजादों की शहादत को याद करने के लिए है, जिन्होंने बहुत कम उम्र में मुगलों के अत्याचारों के खिलाफ संघर्ष किया और अपनी जान की बलि दी। गुरु गोबिंद सिंह के दोनों छोटे बेटे, साहिबजादा जुझार सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह, मारे गए थे। जब वे केवल 9 और 6 साल के थे, तब मुगलों ने उन्हें युद्ध के मैदान में पकड़ा और उन्हें अपनी शहादत की ओर धकेल दिया। उन्होंने अत्याचारों के बावजूद अपनी निष्ठा और साहस से इतिहास में अमिट छाप छोड़ी।
Veer Bal Diwas 2024: सिख समुदाय और मुगलों का नाता
सिखों और मुगलों के बीच के रिश्ते की शुरुआत एक संघर्षमयी इतिहास से जुड़ी हुई है। मुगलों के शासन के दौरान सिख गुरुओं ने धार्मिक स्वतंत्रता और न्याय के लिए संघर्ष किया। गुरु अर्जुन देव जी की शहादत से लेकर गुरु गोबिंद सिंह तक, मुगलों के अत्याचारों का सामना सिखों ने किया। गुरु गोबिंद सिंह के साहिबजादों ने अपने जीवन की बलि देकर न केवल अपने परिवार का बल्कि पूरे समुदाय का नाम रोशन किया। उनके साहस और वीरता को न केवल सिख समाज, बल्कि पूरे देश ने श्रद्धांजलि दी है।
Veer Bal Diwas 2024: प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वीर बाल दिवस समारोह में भाग लेना इस दिन के महत्व को और भी बढ़ाता है। पीएम मोदी ने हमेशा सिख समुदाय के योगदान को स्वीकारा है और उनकी वीरता को सम्मानित किया है। वीर बाल दिवस में शामिल होकर मोदी सरकार सिख समुदाय की विरासत को सम्मानित करने का संदेश देती है।
यह दिन न केवल सिख समुदाय के लिए, बल्कि भारत की समृद्ध इतिहास और संस्कृति के लिए भी अहम है। यह हमें उन संघर्षों की याद दिलाता है, जिन्होंने हमें स्वतंत्रता, धर्म, और मानवता के मूल्यों के प्रति जागरूक किया।