Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने महाकुंभ भगदड़ मामले में सुनवाई से इनकार, इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने को कहा

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Supreme Court: महाकुंभ में हुई भगदड़ और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दायर जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। यह याचिका अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दायर की गई थी, जिसमें महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर विशिष्ट दिशा-निर्देश और नियम लागू करने की मांग की गई थी। यह याचिका महाकुंभ के दौरान 29 जनवरी को प्रयागराज के संगम क्षेत्र में हुई भगदड़ की घटना के बाद दायर की गई थी, जिसमें 30 लोगों की मौत हो गई थी और 60 अन्य लोग घायल हो गए थे।

Supreme Court: याचिका में की गई मांगें

याचिका में केंद्र और सभी राज्यों को पक्षकार बनाकर यह आग्रह किया गया था कि वे मिलकर महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करें। याचिका में यह भी मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार को भगदड़ की घटना पर स्थिति रिपोर्ट पेश करने और लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दे। याचिका में यह भी अनुरोध किया गया था कि महाकुंभ के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ ठोस दिशा-निर्देश लागू किए जाएं।

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ द्वारा की गई। न्यायालय के समक्ष उत्तर प्रदेश सरकार ने यह दलील दी कि इस मामले में पहले ही इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की जा चुकी है। कोर्ट ने सरकार की इस दलील को ध्यान में रखते हुए याचिका को खारिज कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि महाकुंभ में हुई भगदड़ दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और इस पर उचित कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, अधिवक्ता विशाल तिवारी को इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने का निर्देश दिया।

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट का संदेश

सुप्रीम कोर्ट ने महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है कि ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सही कदम उठाए जाने चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस प्रकार की घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया, लेकिन यह सुनिश्चित किया कि इस प्रकार की घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

Supreme Court: महाकुंभ के आयोजन में सुरक्षा की अहमियत

महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों में लाखों श्रद्धालु एकत्र होते हैं, और ऐसे आयोजनों में सुरक्षा व्यवस्था की सख्त निगरानी जरूरी होती है। भगदड़ जैसी घटनाएं केवल श्रद्धालुओं की जान को खतरे में डालने के अलावा, समाज में भय का माहौल भी पैदा करती हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि प्रशासन इन घटनाओं से बचने के लिए उचित सुरक्षा उपायों और दिशा-निर्देशों को लागू करे।

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट का संदेश

इस फैसले से एक बात साफ हो जाती है कि सर्वोच्च न्यायालय ने सरकारों से यह उम्मीद जताई है कि वे इस प्रकार के आयोजन में श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए उचित कदम उठाएं। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले में पहले से ही इलाहाबाद हाई कोर्ट में दायर याचिका को आगे बढ़ाने के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं।

Supreme Court: आगे का रास्ता और सरकारी प्रयास

कुल मिलाकर, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए यह संकेत दिया कि यह मामला पहले ही न्यायपालिका के दूसरे स्तर पर विचाराधीन है और संबंधित अधिकारियों से मामले पर गंभीरता से काम लेने की उम्मीद जताई है।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला महाकुंभ जैसी बड़ी धार्मिक घटनाओं के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सरकारों और प्रशासन के लिए एक चेतावनी के रूप में सामने आया है।

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