Donkey Milk: गधों की पहचान भले ही बोझ ढोने वाले जानवर के रूप में हो लेकिन इनकी एक खास नस्ल की चर्चा दुनिया भर में होती है। यही साबित करता है कि सभी गधे एक जैसे नहीं होते। गुजरात के हालार क्षेत्र में पाया जाने वाला हलारी नस्ल का गधा न केवल बेशकीमती है, बल्कि अपने गुणों के कारण इसे वीवीआईपी का रुतबा हासिल है। हलारी नस्ल की गधी के दूध को ‘लिक्विड गोल्ड’ माना जाता है।
Donkey Milk: क्या है दूध की खासियत ?
हलाली नस्ल की गधी दूध बहुत महंगा बिकता है। इसके दूध में पोषक तत्वों के साथ ही त्वचा के लिए भी बेहतर माना जाता है। यही वजह है कि कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर इसकी कीमत 5,000 से 7,000 रुपये प्रति लीटर तक है। हालांकि, इस खासियत के साथ हलारी नस्ल के साथ कुछ चुनौतियां भी हैं। यह है इस नस्ल की गधी की संख्या में कमी। देश में 500 से भी कम हलारी गधे बचे होने के कारण, प्राथमिक आवश्यकता निश्चित रूप इनके संरक्षण की है। हालांकि, बड़ा उद्देश्य केवल उनकी संख्या बढ़ाना नहीं है। किसानों को यह भी सिखाना है जिससे कि वे इनसे अधिक कमाई कर सकें।
Donkey Milk: सोने की तलाश
बीकानेर में राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (NRCE) ने इन पशुओं की सुरक्षा के लिए एक समर्पित कार्यक्रम शुरू किया है। NRCE गधे के दूध का मूल्यांकन भी कर रहा है, ताकि इसके उच्च मूल्य को बनाए रखने के लिए स्किनकेयर प्रोडक्टस में इसके संभावित उपयोग को देखा जा सके। NRCE के प्रमुख एस सी मेहता ने कहा कि गधे के दूध को आसमान छूते दामों पर बेचे जाने के कई उदाहरण हैं, लेकिन उम्मीद से कम।
उन्होंने कहा, ‘हालांकि गधे के दूध को लगातार इतनी ऊंची कीमतों पर बेचना संभव नहीं है, लेकिन यह रोजाना 300 से 400 रुपये प्रति लीटर आसानी से मिल सकता है। उन्होंने कहा कि हम स्किनकेयर एप्लिकेशन के लिए दूध का टेस्टिंग कर रहे हैं। यदि रिजल्ट आशाजनक साबित होते हैं, तो इस दूध का हाई वैल्यू प्रजातियों के संरक्षण को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा दे सकता है।

Donkey Milk: क्यों खास है ये नस्ल ?
हलारी नस्ल की गधी को न केवल उसके दूध के लिए महत्व दिया जाता है बल्कि इसकी अनूठी विशेषताएं इसे स्थायी डेयरी फार्मिंग के लिए विशेष रूप से मूल्यवान बनाती हैं। उनका विनम्र स्वभाव, विभिन्न जलवायु के अनुकूल होने की उनकी क्षमता, उन्हें छोटे पैमाने के किसानों के लिए आदर्श बनाती है। बड़े पशुओं की तुलना में उनका पर्यावरण पर प्रभाव भी बहुत कम होता है। उन्हें कम चारा और पानी की आवश्यकता होती है। वास्तव में, उनकी चराई की आदतें चरागाह पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में भी मदद करती हैं।
Donkey Milk: ब्यूटी विद ब्रेन
किंवदंती है कि मिस्र की रानी क्लियोपेट्रा की सुंदरता का रहस्य गधी के दूध से स्नान करने करती थी। जूरी इस बात पर विचार कर सकती है कि इससे उनके रूप में कितना इजाफा हुआ, लेकिन इतिहास यह बताता है कि गधे के दूध को उसके पौष्टिक और मेडिकल गुणों के लिए बेशकीमती माना जाता था। वैश्विक स्तर पर, कई कंपनियां गधे के दूध का उपयोग करके विशिष्ट कॉस्मेटिक उत्पाद बनाती हैं। इनमें साबुन, स्किन जैल और फेस वॉश बनाया जाता है। इसमें ऐसे यौगिक पाए गए हैं जो त्वचा को हाइड्रेट करते हैं और झुर्रियों को रोकते हैं।
Donkey Milk: दक्षिण के राज्यों में अधिक मांग
लेकिन यह सिर्फ इतना ही नहीं है। ऐतिहासिक रूप से अपने औषधीय गुणों के लिए पूजनीय, गधे का दूध मानव दूध से काफी मिलता-जुलता है। यह इसे गाय के दूध से एलर्जी वाले शिशुओं के लिए एक आदर्श विकल्प बनाता है। स्टडी से यह भी पता चलता है कि आंतों के माइक्रोफ्लोरा को रेगुलेट करने, इम्युनिटी को बढ़ाने और कुछ ‘एंटी डायबिटिक’ गुणों में इसकी क्षमता है।
एनआरसीई के एक वैज्ञानिक ने कहा कि कर्नाटक और केरल में पहले से ही कॉस्मेटिक कंपनियों सहित दो प्राइवेट कंपनियां हैं, जो अपने प्रोडक्ट्स में गधे के दूध का उपयोग करती हैं। दक्षिणी राज्यों में दूध की मांग अधिक है। एंटी-एजिंग, एंटीऑक्सीडेंट और पुनर्योजी यौगिकों से युक्त गधे का दूध वास्तव में बहुमूल्य है।
Leave a Reply