डेटलाइन: मनोर/पालघर, 14 अगस्त 2025
मुख्य बिंदु
महिला मरीज का आरोप: परामर्श के दौरान डॉक्टर ने “बिस्किट के साथ ज़हर” जैसी बात कही।
समाजसेवक पुनीत बारी, निशु और ग्राम पंचायत सदस्य मनीष भानुशाली मौके पर पहुंचे, डॉक्टर से पूछताछ की।
डॉक्टर नंदकुमार प्रसाद ने सभी आरोपों से साफ़ इनकार किया।
मामले की सूचना शिवसेना पालघर जिला प्रमुख बसंत चौहान को दी गई; उन्होंने अनुचित भाषा-प्रयोग पर आपत्ति जताई।
स्वास्थ्य विभाग/प्रशासन की औपचारिक कार्रवाई/रिपोर्ट का इंतज़ार।
घटना का विवरण
मनोर स्थित सरकारी अस्पताल में एक महिला मरीज ने आरोप लगाया कि परामर्श के दौरान डॉक्टर नंदकुमार प्रसाद ने “बिस्किट के साथ ज़हर खाने” जैसी अनुचित और असंवेदनशील टिप्पणी की। शिकायत सामने आते ही समाजसेवक पुनीत बारी, निशु तथा मनोर ग्राम पंचायत सदस्य मनीष भानुशाली अस्पताल पहुँचे और डॉक्टर से इस सिलसिले में सवाल किए। डॉक्टर ने अपने पक्ष में कहा कि उनके ऊपर लगाए गए सभी आरोप आधारहीन हैं और उन्होंने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की।
पक्ष-विपक्ष
शिकायतकर्ता का पक्ष:
मरीज का कहना है कि चिकित्सकीय सलाह के दौरान डॉक्टर की कथित टिप्पणी ने उसे आहत और असुरक्षित महसूस कराया।
डॉक्टर का पक्ष:
डॉ. नंदकुमार प्रसाद ने आरोपों को निराधार बताया और कहा कि परामर्श के दौरान पेशेवर आचरण का पालन किया गया।
राजनीतिक/सामाजिक प्रतिक्रिया:
मामले की जानकारी मिलते ही शिवसेना पालघर जिला प्रमुख बसंत चौहान ने डॉक्टर से बातचीत की और कहा, “आप इस तरह की भाषा का प्रयोग नहीं कर सकते। आप डॉक्टर हैं, लोग आप पर विश्वास करके इलाज के लिए आते हैं।”
घटनाक्रम: कैसे बढ़ा मामला
- महिला ने डॉक्टर की कथित टिप्पणी पर आपत्ति जताई।
- शिकायत समाजसेवकों और स्थानीय प्रतिनिधियों तक पहुँची।
- समाजसेवक एवं जनप्रतिनिधि अस्पताल पहुँचे और डॉक्टर से पूछताछ की।
- डॉक्टर ने आरोपों से इंकार किया।
- मुद्दा जिला स्तर के राजनीतिक नेतृत्व तक पहुँचा; अब आगे की प्रशासनिक/विधिक कार्रवाई की प्रतीक्षा है।
विशेषज्ञ दृष्टि (संदर्भ/विश्लेषण)
चिकित्सकीय परामर्श के दौरान संवेदनशील, सम्मानजनक भाषा का प्रयोग डॉक्टर–मरीज विश्वास का मूल आधार है।
ऐसी शिकायतें सामने आने पर सामान्यत: अस्पताल प्रशासन प्रारंभिक जाँच (फैक्ट-फाइंडिंग) करता है, बयान दर्ज होते हैं और आवश्यकता पड़ने पर उच्चाधिकारियों/जिला स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट भेजी जाती है।
यदि मरीज या परिजन लिखित शिकायत देते हैं तो अस्पताल रजिस्टर/ओपीडी नोट्स, सीसीटीवी (यदि उपलब्ध), उपस्थित स्टाफ के बयान जैसे साक्ष्यों का परीक्षण किया जाता है।
आगे क्या?
अस्पताल प्रशासन/जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्राथमिक तथ्य-जाँच और आवश्यक होने पर अनुशासनात्मक/विधिक प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
दोनों पक्षों के बयान, संभावित साक्ष्य (यदि कोई) और उपलब्ध रिकॉर्ड के आधार पर आगे की कार्रवाई तय होगी।
मरीज अधिकारों और डॉक्टरों के पेशेवर आचरण—दोनों के संरक्षण के लिए निष्पक्ष जाँच अहम है।
संपादकीय टिप्पणी/अस्वीकरण
यह रिपोर्ट शिकायतकर्ता और मौके पर मौजूद समाजसेवकों/स्थानीय प्रतिनिधियों के दावों तथा डॉक्टर के आधिकारिक इनकार पर आधारित है। प्रशासन/स्वास्थ्य विभाग की पुष्टि या विस्तृत जाँच रिपोर्ट फिलहाल उपलब्ध नहीं है। किसी भी निष्कर्ष से पहले अधिकारियों की औपचारिक जाँच का इंतज़ार किया जाएगा।