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Makar Sankranti Khichdi 2025: मकर संक्रांति पर क्यों खाई जाती है खिचड़ी? क्या है इसका महत्व? आइये जानते हैं…

On: Tuesday, January 14, 2025 9:41 AM
Makar Sankranti Khichdi 2025
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Makar Sankranti Khichdi 2025:  मकर संक्रांति का पर्व भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जिससे धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से यह समय अत्यंत शुभ माना जाता है। मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने और दान करने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। यह केवल एक खानपान की परंपरा नहीं, बल्कि इसके पीछे धार्मिक, स्वास्थ्य और ज्योतिषीय कारण भी हैं। आइए जानते हैं खिचड़ी के धार्मिक महत्व और इसके नवग्रह से संबंध के बारे में।

Makar Sankranti Khichdi 2025: खिचड़ी खाने की परंपरा और इसका महत्व

मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाना और दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। खिचड़ी तिल, चावल, दाल और अन्य अनाजों से बनती है। इन सभी सामग्रियों का अपना-अपना धार्मिक और स्वास्थ्यवर्धक महत्व है।

  1. स्वास्थ्य का ख्याल: ठंड के मौसम में तिल और दाल युक्त खिचड़ी शरीर को गर्माहट प्रदान करती है और पाचन तंत्र को दुरुस्त रखती है। यह आसानी से पचने वाला भोजन है, जो शरीर को पोषण देता है।
  2. सामाजिक संदेश: खिचड़ी एक साधारण और सस्ता भोजन है, जिसे गरीब और अमीर दोनों खा सकते हैं। इसे खाना और दान करना समानता और भाईचारे का संदेश देता है।

Makar Sankranti Khichdi 2025: नवग्रह और खिचड़ी का संबंध

मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने और दान करने का संबंध नवग्रहों से जोड़ा गया है। ज्योतिष में मान्यता है कि खिचड़ी से संबंधित सामग्रियां नवग्रहों को संतुष्ट करती हैं।

  • तिल: तिल शनि ग्रह का प्रतीक है। तिल के सेवन और दान से शनि की दशा और साढ़ेसाती के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
  • चावल: यह चंद्रमा और शुक्र ग्रह से संबंधित है। चावल के दान और सेवन से चंद्रमा और शुक्र की स्थिति मजबूत होती है।
  • दाल (अरहर या मूंग): दाल का संबंध बृहस्पति ग्रह से है। इसका सेवन बृहस्पति के प्रभाव को शुभ बनाता है।
  • नमक और मसाले: ये मंगल ग्रह के प्रतीक हैं। इनके प्रयोग से मंगल दोषों का निवारण होता है।

Makar Sankranti Khichdi 2025: खिचड़ी का धार्मिक महत्व

  1. भगवान सूर्य की कृपा प्राप्ति: इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। खिचड़ी में तिल और चावल का उपयोग सूर्य और शनि के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए किया जाता है।
  2. दान का महत्व: मकर संक्रांति पर खिचड़ी को दान करना गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के साथ पुण्य अर्जित करने का अवसर है। यह परंपरा यह सिखाती है कि समाज के कमजोर वर्गों की मदद करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है।
  3. पितरों की शांति: खिचड़ी का दान पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी शुभ माना जाता है।

Makar Sankranti Khichdi 2025: खिचड़ी के साथ तिल-गुड़ का महत्व

तिल-गुड़ मकर संक्रांति के प्रमुख प्रसाद माने जाते हैं। तिल से शनि ग्रह की दशा शांत होती है, और गुड़ स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। इन दोनों सामग्रियों का प्रयोग शरीर और आत्मा की शुद्धि के लिए किया जाता है।

Makar Sankranti Khichdi 2025: सांस्कृतिक और क्षेत्रीय परंपराएं

  1. उत्तर भारत: यहां खिचड़ी को ‘खिचड़ी पर्व’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन खिचड़ी खाना और दान करना अनिवार्य माना जाता है।
  2. पश्चिम बंगाल और असम: इन राज्यों में खिचड़ी के साथ खीर और तिल-गुड़ का प्रसाद बनाया जाता है।
  3. बिहार और उत्तर प्रदेश: यहां खिचड़ी का पर्व शनि देव और सूर्य देव की पूजा के साथ मनाया जाता है। लोग खिचड़ी बनाकर गरीबों और ब्राह्मणों को दान करते हैं।

Makar Sankranti Khichdi 2025: क्या है इसके पीछे का महत्व ?

मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की परंपरा केवल एक धार्मिक रिवाज नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य, ज्योतिष और समाजिक संतुलन का प्रतीक है। नवग्रहों की कृपा पाने और शुभ फल प्राप्त करने के लिए खिचड़ी का सेवन और दान करना अत्यंत लाभकारी माना गया है। यह परंपरा भारतीय संस्कृति की गहराई और ज्ञान को दर्शाती है। इस मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाएं, दान करें और पुण्य अर्जित करें।

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