महाकुंभ मेला 2025 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित डिजिटल खोया-पाया केंद्रों ने 20,000 से अधिक बिछड़े हुए श्रद्धालुओं को उनके परिवारों से मिलाने में अहम भूमिका निभाई है। यह केंद्र अत्याधुनिक तकनीकों से सुसज्जित हैं और श्रद्धालुओं की सहायता के लिए चौबीसों घंटे कार्यरत हैं।
Mahakumbh: अमृत स्नान पर्व और प्रमुख स्नान तिथियों पर सफलता
मेला प्राधिकरण के अनुसार, अमृत स्नान पर्व मौनी अमावस्या (28, 29 और 30 जनवरी) के दौरान 8,725 बिछड़े लोगों को उनके परिजनों से मिलाया गया। इसी प्रकार मकर संक्रांति (13, 14 और 15 जनवरी) के अवसर पर 598 श्रद्धालु और बसंत पंचमी (2, 3 और 4 फरवरी) को 813 श्रद्धालु अपने परिवारों से फिर से जुड़ सके। इसके अलावा, अन्य स्नान पर्वों और सामान्य दिनों में कुल 10,000 से अधिक श्रद्धालुओं को उनके परिजनों से मिलाने का कार्य किया गया।
Mahakumbh: अत्याधुनिक तकनीक और कुशल प्रबंधन
महाकुंभ मेले में कुल 10 डिजिटल खोया-पाया केंद्र स्थापित किए गए हैं, जो संगम, झूसी, अरैल, फाफामऊ सहित विभिन्न महत्वपूर्ण स्थलों पर स्थित हैं। इन केंद्रों में कृत्रिम मेधा (AI) आधारित चेहरा पहचान प्रणाली, मशीन लर्निंग, और बहुभाषीय समर्थन जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। यह तकनीक खोए हुए लोगों की त्वरित पहचान कर उन्हें उनके परिवारों तक पहुंचाने में सहायक सिद्ध हो रही है।
Mahakumbh: प्रशासन और स्वयंसेवी संगठनों की भागीदारी
डिजिटल खोया-पाया केंद्रों के प्रभावी संचालन में उत्तर प्रदेश पुलिस, प्रशासनिक अधिकारी, और विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यूनिसेफ सहित कई गैर-सरकारी संगठनों का भी इसमें सक्रिय सहयोग रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 7 दिसंबर 2024 को इन डिजिटल केंद्रों की शुरुआत की गई थी, और अब तक इनका प्रभावी संचालन महाकुंभ मेले में श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा को सुनिश्चित करने में मील का पत्थर साबित हो रहा है।
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