Atul Subhash Missing Son: बेंगलुरु के दिवंगत एआई इंजीनियर अतुल सुभाष के लापता बेटे का पता चल गया है. हरियाणा के फरीदाबाद स्थित एक आवासीय विद्यालय ने बेंगलुरु पुलिस को जानकारी दी है कि चार वर्षीय लड़का फिलहाल उनके स्कूल के छात्रावास में रह रहा है. इस खबर ने सुभाष के परिवार और उनकी पत्नी के बीच कस्टडी को लेकर चल रहे विवाद को और तूल दे दिया है. हालांकि कोर्ट ने इस मामले अतुल सुभाष के परिवार को पहले ही झटका दे दिया और बेटे की कस्टडी को लेकर एक आदेश पहले ही दिया गया है.
Atul Subhash Missing Son: हॉस्टल में रखा गया है
दरअसल, पुलिस के अनुसार, बच्चे का दाखिला फरीदाबाद के सतयुग दर्शन विद्यालय में कराया गया था. स्कूल प्रशासन ने बताया कि सर्दियों की छुट्टियों के दौरान उसे विशेष व्यवस्था के तहत हॉस्टल में रखा गया है, क्योंकि छुट्टी के लिए उसे लेने कोई नहीं आया. बच्चे की मां, निकिता सिंघानिया ने स्कूल में दाखिला प्रक्रिया खुद पूरी की थी और दाखिले से संबंधित दस्तावेजों में बच्चे के पिता का विवरण नहीं भरा. यह जानकारी स्कूल के प्रिंसिपल डॉ. अरुण कुमार शर्मा ने मराठाहल्ली पुलिस स्टेशन को पत्र के माध्यम से दी है.
Atul Subhash Missing Son: कस्टडी को लेकर तनाव बढ़ रहा
बच्चे की कस्टडी को लेकर परिवारों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. सुभाष के माता-पिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए पोते की सुरक्षा का हवाला दिया है. उनका कहना है कि निकिता ने बच्चे को “एटीएम” की तरह इस्तेमाल किया और लगातार पैसों की मांग करती रही. दूसरी ओर, निकिता के परिवार का आरोप है कि सुभाष ने दहेज की मांग की थी, जो उनके पिता की मौत का कारण बनी.
Atul Subhash Missing Son: कस्टडी के लिए अलग प्रक्रिया
उधर कर्नाटक हाईकोर्ट ने निकिता सिंघानिया के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की उनकी याचिका खारिज कर दी है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सुभाष की मां को पोते की कस्टडी देने से इनकार करते हुए कहा कि बच्चा उनके लिए अजनबी है. कोर्ट ने मामले को कस्टडी सुनवाई के लिए अन्य प्रक्रियाओं से निपटाने की सलाह दी. कोर्ट ने कहा कि पोते से मिलने की अनुमति परिवार को दी जा सकती है, लेकिन कस्टडी के लिए अलग प्रक्रिया अपनानी होगी.
अतुल सुभाष की आत्महत्या का मामला पहले ही काफी विवादित रहा है. उनके भाई ने पत्नी निकिता और ससुराल वालों पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया है. वहीं निकिता ने खुद को बच्चे की एकमात्र अभिभावक बताते हुए दावा किया है कि उन्होंने बच्चे के भविष्य की सुरक्षा के लिए उसे बोर्डिंग स्कूल में रखा. मामले का कानूनी और भावनात्मक पहलू अब भी उलझा हुआ है, और सभी की नजरें कोर्ट के अगले फैसले पर हैं.