Weather Report: उत्तर भारत में जनवरी का महीना कड़ाके की सर्दी के बीच गुजर गया। लेकिन फरवरी आते ही मौसम ने एकदम पलटी मार दी है। आप सभी को भी ऐसा ही लग रहा होगा कि ठंडी कितनी जल्दी चली गई, वहीं दूसरी तरफ देश में गर्मी बढ़ती ही जा रही है इसके साथ ही उत्तर भारत में लोगों ने रजाइयां समेटनी शुरू कर दी हैं। रात में कंबल से काम चल जा रहा है। दिन में इतनी तेज धूप होती है कि शर्ट में भी पसीने आने लगें। दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, पुणे, लखनऊ, भुवनेश्वर…
आप सभी को जानकर हैरानी होगी कि, फरवरी में अभी तक भारत के अधिकांश शहरों का तापमान सामान्य से ज्यादा चला गया है, सबके मन में या सवाल है कि, आखिर फरवरी में ही इतनी ज्यादा गर्मी क्यों पड़ रही है? अगर अभी यह हाल है तो मई और जून में क्या होगा जब गर्मी अपने चरम पर होती है।महाराष्ट्र के पुणे में बुधवार को अधिकतम तापमान 36 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा।
Weather Report: फरवरी में इन राज्यों का हाल हुआ ख़राब
दिल्ली के सफदरजंग स्टेशन पर मंगलवार को अधिकतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से करीब 4 डिग्री ज्यादा है। ओडिशा के भुवनेश्वर में फरवरी शुरू होते ही पारा 35 डिग्री तक पहुंच गया था। केरल के कन्नूर और कोट्टयम में भी अधिकतम तापमान 36 डिग्री के ऊपर दर्ज हुआ।
इतना अधिक तापमान फरवरी के महीने में असामान्य है। गर्मी का मौसम अभी आधिकारिक रूप से शुरू नहीं हुआ है।भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने भविष्यवाणी की है कि फरवरी 2025 में देश के अधिकांश हिस्सों में मासिक न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। उत्तर-पश्चिम और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर, अधिकांश इलाकों में गर्मी ज्यादा पड़ेगी। इसके अलावा, फरवरी में सामान्य से कम बारिश होने की भी संभावना है।
Weather Report: मई और जून में क्या होगा?
अगर फरवरी में ही तापमान सामान्य से ज्यादा है, तो मई और जून में भयानक गर्मी की संभावना बन रही । मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि मई और जून में अत्यधिक गर्मी का सामना करना पड़ सकता है।
Weather Report: सर्दियों में कम ठंड जैसी घटनाएं आम हो गई
हाल के वर्षों में, भारत में मौसमी पैटर्न में महत्वपूर्ण बदलाव देखे गए हैं। गर्मी के महीनों में तापमान में रिकॉर्ड तापमान, मानसून की अनियमितता, और सर्दियों में कम ठंड जैसी घटनाएं आम हो गई हैं।
सेंटर फॉर साइंस एंड एंवायर्नमेंट (CSE) की हालिया रिपोर्ट गंभीर तस्वीर पेश करती है। इसके मुताबिक, 2024 के पहले नौ महीनों के 274 दिनों में 255 दिन ‘एक्सट्रीम वेटर इवेंट्स’ का सामना करना पड़ा। रिपोर्ट कहती है कि इन ‘चरम मौसम की घटनाओं’ में रिकॉर्डतोड़ गर्मी और ठंड, चक्रवात, बिजली, भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन शामिल थे।
इन घटनाओं में 3,238 लोगों की जान चली गई, 3.2 मिलियन हेक्टेयर फसलें प्रभावित हुईं, 235,862 घर और इमारतें नष्ट हो गईं और लगभग 9,457 मवेशी मारे गए।क्लाइमेट एक्सपर्ट इन्हें ‘एक्सट्रीम वेटर इवेंट्स’ कहते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ये बदलाव जलवायु परिवर्तन के संकेत हैं, जो आने वाले सालों में और भी गंभीर हो सकते हैं।
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