Takiya masjid: यूपी में बुलडोजर चलते चलते अब उज्जैन में नजो बुलडोजर चलने लगा हैं बता दें कि, मध्यप्रदेश के उज्जैन में 100 साल पुरानी तकिया मस्जिद पर बुलडोजर चला दिया गया है, जिसके बाद यह मामला चर्चा में आ गया है। यह कार्रवाई महाकालेश्वर मंदिर के विस्तारीकरण योजना के तहत की गई है। इस योजना के अनुसार, मंदिर के आसपास के क्षेत्र में कॉरिडोर का विस्तार किया जा रहा है, जिससे तकिया मस्जिद और अन्य धार्मिक स्थलों को हटाने की आवश्यकता पड़ी। इसके साथ ही, निजामुद्दीन कॉलोनी के ढाई सौ मकानों को भी तोड़ने की योजना है।
Takiya masjid: नोटिस के बाद अगले ही दिन चला दिया बुलडोजर
मस्जिद पर हुई इस कार्रवाई ने विभिन्न धार्मिक समुदायों में विरोध की लहर पैदा कर दी है। लोगों का कहना है कि प्रशासन ने उन्हें एक दिन पहले नोटिस दिया था और अगले ही दिन बुलडोजर चला दिया। हालांकि, प्रशासन का कहना है कि यह कदम योजना के तहत उठाया गया है और उन्हें इससे संबंधित सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है। इस दौरान भारी पुलिस बलों की तैनाती की गई थी, ताकि किसी प्रकार की अप्रिय स्थिति से बचा जा सके।
महाकालेश्वर मंदिर के विस्तारीकरण योजना के तहत, मंदिर को और बड़ा किया जा रहा है ताकि श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को समायोजित किया जा सके। यह योजना उज्जैन के धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाई गई है। इसके तहत आसपास के इलाकों में कॉरिडोर का विस्तार किया जा रहा है, जिससे मंदिर तक पहुँचने का रास्ता अधिक सुगम हो सके।
Takiya masjid: धार्मिक अधिकारों का किया जा रहा है उल्लंघ
हालांकि, यह कार्रवाई विवादों का कारण बन गई है। धार्मिक स्थलों को हटाए जाने को लेकर विभिन्न समुदायों के लोग विरोध जता रहे हैं। उनका कहना है कि यह कार्रवाई धार्मिक असहिष्णुता का प्रतीक है और उनके धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन है। कुछ लोग इसे एकतरफा कदम मानते हैं, जिसमें केवल एक धर्म विशेष के स्थलों को निशाना बनाया गया है।
इस मुद्दे को लेकर राज्य सरकार और प्रशासन का कहना है कि उनकी योजना के तहत सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है और यह कदम सिर्फ मंदिर के विस्तारीकरण के लिए उठाया गया है। प्रशासन का यह भी कहना है कि अन्य धर्मों के धार्मिक स्थलों को ध्यान में रखते हुए सभी कार्य किए जा रहे हैं।
आखिरकार, यह कदम प्रशासन और स्थानीय लोगों के बीच विवाद का कारण बन गया है और इसे लेकर आगे चलकर और अधिक चर्चा हो सकती है। उज्जैन में धार्मिक स्थलों को लेकर बढ़ते विवादों के बीच, यह मुद्दा निश्चित ही राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो गया है।