डहाणू (पालघर) | 16 अगस्त 2025 – पालघर जिले के डहाणू तालुका स्थित ऐतिहासिक और धार्मिक महालक्ष्मी (सुळका) किले पर शनिवार रात भारी बारिश के बाद भूस्खलन हुआ। इस घटना में सात दुकानों को नुकसान पहुँचा है। इनमें तीन दुकानें सीधे गहरी खाई में गिर गईं और पूरी तरह नष्ट हो गईं, जबकि शेष चार दुकानों को आंशिक क्षति पहुँची। राहत की बात यह रही कि इस घटना में किसी भी प्रकार की जनहानि नहीं हुई।
घटना का विवरण
भूस्खलन से मंदिर परिसर की संकरी सड़क भी बाधित हो गई। प्रशासन के मुताबिक यदि यह हादसा दिन में श्रद्धालुओं की भीड़ के समय हुआ होता तो बड़ी दुर्घटना हो सकती थी। बारिश के चलते मंदिर पर भीड़ कम होने से गंभीर अनहोनी टल गई।
प्रशासनिक कार्रवाई
तलाठी ने मौके पर पहुँचकर पंचनामा किया और नुकसान का आकलन शुरू किया। पुलिस विभाग ने श्रद्धालुओं और पर्यटकों से अपील की है कि जब तक मौसम सामान्य नहीं होता, तब तक किले की ओर न जाएँ।
“किले पर भूस्खलन के कारण रास्ता संकरा हो गया है। श्रद्धालुओं और पर्यटकों से अपील है कि कुछ दिनों तक वहाँ न जाएँ। बारिश थमने के बाद आवश्यक सुरक्षा उपाय किए जाएँगे।”
— किरण पवार, निरीक्षक, डहाणू पुलिस थाना
नुकसानग्रस्त दुकानदार और अनुमानित हानि
काशीनाथ घोषे – ₹24,500
वालू घोषे – ₹22,000
विनोद घोषे – ₹7,000
नरेश घोषे – ₹2,000
अमृत सालकर – ₹2,700
कुल मिलाकर लगभग ₹58,200 का नुकसान दर्ज किया गया है।
नुकसान झेल रहे दुकानदार विनोद घोषे ने कहा –
“यह घटना रात में हुई, इसलिए बड़ी अनहोनी से हम बच गए। मेरा परिवार पूरी तरह इसी दुकान पर निर्भर था। अब मुझे इस नुकसान की उचित भरपाई की उम्मीद है।”
जोखिम और पूर्व घटनाएँ
यह क्षेत्र पहले भी भूस्खलन की चपेट में आ चुका है। वर्ष 2022 में भी यहाँ बड़े पैमाने पर दुकानें ध्वस्त हुई थीं। हर साल यहाँ हजारों श्रद्धालु देवी के दर्शन के लिए आते हैं, विशेषकर बरसात और त्योहारों के समय भीड़ अधिक रहती है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि किले की चट्टानों पर सुरक्षा जाल और बेहतर जलनिकासी की व्यवस्था तत्काल की जानी चाहिए, अन्यथा भविष्य में बड़ा हादसा हो सकता है।
मुख्य बिंदु
स्थान: रानशेत महालक्ष्मी (सुळका) किला, डहाणू, पालघर
घटना: शनिवार रात भारी वर्षा के बाद भूस्खलन
नुकसान: 7 दुकानें प्रभावित, 3 पूरी तरह नष्ट
जनहानि: नहीं
प्रशासन: पंचनामा तैयार; पुलिस ने श्रद्धालुओं से किले पर न जाने की अपील की
स्थानीय मांग: सुरक्षा जाल, जलनिकासी सुधार और चेतावनी संकेतक लगाए जाएँ