Maha Kumbh 2025: काशी विश्वनाथ मंदिर में हर दिन होने वाली आरतियों की समय सीमा में महाकुंभ के चलते बदलाव किया गया है। यह बदलाव खास तौर पर श्रद्धालुओं की संख्या और सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए किया गया है। महाकुंभ के दौरान विशेष आयोजन और श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ को देखते हुए, काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने आरती के समय में कुछ बदलाव किए हैं ताकि सभी भक्तों को समय पर और सुरक्षित रूप से आरती में भाग लेने का अवसर मिल सके।
Maha Kumbh 2025: महाकुंभ और काशी विश्वनाथ के महत्व
महाकुंभ हिंदू धर्म का एक बहुत बड़ा धार्मिक आयोजन है जो हर 12 साल में एक बार होता है। यह आयोजन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित होता है, लेकिन इसका प्रभाव देशभर के प्रमुख धार्मिक स्थलों पर भी पड़ता है। काशी विश्वनाथ मंदिर, जो कि काशी (वाराणसी) में स्थित है, हिंदू धर्म के प्रमुख मंदिरों में से एक है और यहां प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा करने आते हैं। इस मंदिर में गंगा की आरती, शिव आरती और अन्य धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।
Maha Kumbh 2025: आरती के समय में बदलाव का कारण
महाकुंभ के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि होती है। इसके अलावा, विशेष पूजा और अनुष्ठान आयोजित करने के कारण मंदिर में अधिक भीड़ जमा हो जाती है। सुरक्षा, यातायात और मंदिर में भव्यता को देखते हुए आरती के समय में बदलाव किया गया है। यह बदलाव श्रद्धालुओं को सुविधा देने के लिए और उनके अनुभव को बेहतर बनाने के उद्देश्य से किया गया है।
Maha Kumbh 2025: नई आरती टाइमिंग
महाकुंभ के दौरान, काशी विश्वनाथ मंदिर में आरती का समय कुछ इस प्रकार तय किया गया है:
- सुबह की आरती: पहले जो समय 4:30 बजे था, अब उसे बढ़ाकर 5:00 बजे किया गया है।
- शाम की आरती: शाम की आरती का समय 7:00 बजे से बढ़ाकर 7:30 बजे कर दिया गया है।
आरती के समय में यह बदलाव मंदिर प्रशासन के आदेश के अनुसार किया गया है, ताकि श्रद्धालुओं को अधिक समय मिल सके और वे बिना किसी परेशानी के आरती में शामिल हो सकें।
Maha Kumbh 2025: आरती में श्रद्धालुओं की सुविधा
नई टाइमिंग के साथ-साथ काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कुछ विशेष इंतजाम किए हैं। इसके अंतर्गत, ज्यादा भीड़ को नियंत्रित करने के लिए:
- सुरक्षा व्यवस्था: विशेष सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं ताकि हर श्रद्धालु को उचित सुरक्षा मिल सके और किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो।
- ट्रैफिक प्रबंधन: मंदिर के पास यातायात की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। भक्तों को पार्किंग से लेकर मंदिर तक जाने में कोई कठिनाई न हो, इसका ध्यान रखा गया है।
- आरती की लाइव स्ट्रीमिंग: उन श्रद्धालुओं के लिए जो मंदिर तक नहीं पहुंच सकते, उनके लिए लाइव स्ट्रीमिंग की व्यवस्था की गई है। ताकि वे घर बैठकर भी आरती का आनंद ले सकें।
Maha Kumbh 2025: मंदिर प्रशासन का बयान
काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी ने बताया कि महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या में अचानक बढ़ोतरी होती है, और ऐसे में श्रद्धालुओं के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए यह बदलाव किया गया है। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर श्रद्धालु को उचित समय पर पूजा और आरती में शामिल होने का अवसर मिले, और साथ ही उनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित हो।”
Maha Kumbh 2025: आरती की विधि और महत्व
आरती हिंदू धर्म में एक बहुत ही महत्वपूर्ण पूजा विधि है, जो भगवान की स्तुति करने और उन्हें आशीर्वाद प्राप्त करने का एक साधन है। काशी विश्वनाथ मंदिर में विशेष रूप से गंगा आरती और शिव आरती का आयोजन होता है। गंगा आरती का आयोजन घाट पर होता है, जबकि शिव आरती मंदिर में होती है। आरती के दौरान दीपकों, अगरबत्तियों और पुष्पों से भगवान की पूजा की जाती है, और भव्य शंखनाद के साथ मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। यह एक बहुत ही श्रद्धापूर्ण और आत्मिक अनुभव है।
Maha Kumbh 2025: श्रद्धालुओं का उत्साह
नई टाइमिंग के बावजूद, श्रद्धालुओं में उत्साह कम नहीं हुआ है। काशी विश्वनाथ मंदिर में समय-समय पर होने वाली आरतियों में भाग लेने के लिए भक्तों का उत्साह हमेशा ही ऊंचा होता है। खासतौर पर महाकुंभ के दौरान, जब लाखों लोग पुण्य की प्राप्ति के लिए काशी आते हैं, तो यह उत्साह और भी बढ़ जाता है।
Maha Kumbh 2025: बदलाव के पीछे क्या है कारण ?
महाकुंभ के चलते काशी विश्वनाथ मंदिर की आरती के समय में बदलाव किया गया है, ताकि श्रद्धालुओं को अधिक समय मिल सके और वे आराम से पूजा में भाग ले सकें। नई टाइमिंग से श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सुरक्षा, यातायात और मंदिर में अतिरिक्त इंतजाम किए गए हैं। यह बदलाव खास तौर पर महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए किया गया है, ताकि वे बिना किसी परेशानी के अपने धार्मिक कर्तव्यों को अंजाम दे सकें।