Haryana News: हरियाणा में लैंगिक अनुपात को लेकर एक बड़ी ख़बर आ रही हैं जहां (Sex Ratio) में एकबार फिर से गिरावट देखने को मिली है।जानकर हैरानी होगी कि यह आठ वर्ष में सबसे कम है। और वहीं अगर दूसरी तरफ वर्ष 2024 में लिंगानुपात की बात करें तो वह 910 रहा है यानी 1000 बालकों के जन्म की तुलना में केवल 910 कन्याओं का जन्म हुआ। 2015 में शुरू किए गए ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान और साथ ही भ्रूण हत्या के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के बावजूद लिंगानुपात में सुधार नहीं हुआ है बल्कि 8 वर्षों में यह सबसे बड़ी गिरावट है।
रिपोर्ट के मुताबिक, सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के दिसंबर 2024 तक जारी डेटा से जानकारी सामने आई है कि प्रति हजार बालक के जन्म की तुलना में 910 कन्या का जन्म हुआ। यह 2023 की तुलना में भी कम है। 2023 में लिंगानुपात 916 था। यह 2016 से सबसे कम है जहां लिंगानुपात 900 था।
Haryana News: बीते कुछ वर्षों के लिंगानुपात का डेटा
- 2015 में 876
- 2016 में 900
- 2017 में 914
- 2018 में 914
- 2019 में 223
- 2020 में 922
- 2021 में 914
- 2022 में 917
- 2023 में 916
Haryana News: किन जिलों का रहा सबसे कम लिंगानुपात ?
मिली जानकारी के अनुसार बता दें कि, भारत का औसत लिंगानुपात 2022-23 में 933 रहा है। 2011 की जनगणना के वक्त लिंगानुपात 943 था। 2019 और 2021 में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में लिंगानुपात 929 दर्ज किया गया था। हरियाणा के पांच जिलों में लिंगानुपात में गिरावट दर्ज की गई है। इनमें चरखी दादरी में 869, फरीदाबाद में 899, गुरुग्राम में 899, रेवाड़ी में 873 और रोहतक में 888 है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव और आयुक्त अमनीत पी कुमार ने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के कारण लिंगानुपात में पहले से थोड़ी वृद्धि हुई थी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि पीसीपीएनडीटी एक्ट 1994 के तहत 1208 केस दर्ज किए गए थे जबकि रेड के बाद 386 एफआईआर की गई थी। अवैध गतिविधियों के संबंध में 4000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
Haryana News: 2021 में किया गया था 142 केस
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि 2024 में पीसीपीएनडीटी और मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेसी एक्ट के तहत 47 एफआईआर हुई है जबकि 2023 में यह आंकड़ा 85 था। उन्होंने बताया कि 2020 में 100 केस दर्ज किए गए थे जबकि 2021 में 142 केस किया गया था।